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| 040 | _cSymbiosis Institute of Design | ||
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_a891.46 _bSID-B-8002 |
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| 100 | _aJagannath Kunte | ||
| 245 | _aDhunee -धुनी | ||
| 260 |
_bPrajakt Prakashan _c2012 |
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| 520 | _aअध्यात्म व साधना या विषयांवर जगन्नाथ कुंटे यांनी या पुस्तकात लेखन केले आहे. देहाची आसक्ती सोडून अहंकार, भय अशा भावनांच्याही पलीकडे जाणऱ्या अवस्थेचे त्यांनी वर्णन केले आहे. पुण्यात घडलेली ही एक सत्यकथा आहे. असे कुंटे यांनी प्रारंभीच नमूद केले आहे. अच्युत हा या कथेचा नायक. त्याची ही धुनी साधनेची आहे. साधकाने साधनेची धुनी अखंड पेटती ठेवावी. बाकी सारं सदृरुंवर सोपवावे, ते सगळे करून घेतात, या श्रद्धेतून हे लेखन झाले आहे. एका वेगळ्या विश्वाचे प्रयत्यकारी दर्शन घडवणारी ही कहाणी आहे. ती प्रचीती देते, दिशा दाखवते आणि त्या विश्वात गुंतवून ठेवते. | ||
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